लेखनी कहानी -10-Dec-2022
विषय - प्रियसी
विधा - कविता
नाम - ज़ुबैर खांन
प्रितियोगिता
ए - मेरे प्यारे हमनवा तुम मुझसे दूर कभी न जाना मेरी दिलरुबा
तुम जैसा मुझे तुझ जैसा कहीं मुझे मिल नहीं सकता
क्योंकि तुम हों मेरी ज़िंदगी की शम्मा
जलता हूं में तेरे होने से शामों सहर
नहीं अता हैं तो तु अता हैं मुझपे कहर
अभी जा तु ज़रा पास मेरे अभी जा
वादा किया था तुमने चलने का मुझे
झुठी दुनियां का खुदपर से पर्दा उठाओगे
क्या तुझकों मुझको दिया हुआ वादा याद था
अपनी सुरत का तुम कब दीदार कराओगे
अपना दिलबर मुझे अपना कब बनाओगे
के बोलोगे कब मुझसे ये महबूब हैं मेरा
ऐ - पर्दानशी अब तो पर्दे से बाहर आओं
सुरत प्यारी अपनी "ज़ुबैर"को दिखाओ
हैं बेकरार कितना" ज़ुबैर" तुम्हारे लिए"ज़ुबैर" की प्यारी दिलरुबा
लेखक - ज़ुबैर खांन....📝
Rajeev kumar jha
11-Dec-2022 12:13 PM
बहुत खूब
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Mahendra Bhatt
11-Dec-2022 08:59 AM
शानदार
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Pranali shrivastava
10-Dec-2022 09:33 PM
बहुत खूब
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